🔴कागजों में नियम, हकीकत में लूट: मृतक आश्रित कोटे की शर्मनाक कहानी
🔵मृतक आश्रित योजना का मज़ाक: एक घर में दो-दो सरकारी नौकरी
🔴ग्लोबल न्यूज
कुशीनगर। सरकारी नियमों की हत्या और नैतिकता का गला घोटकर मृतक आश्रित कोटे का बेशर्म दुरुपयोग सामने आया है। सबब यह है कि मां पहले से सरकारी नौकरी में कार्यरत रही, इसके बावजूद पिता की मृत्यु के बाद पुत्र ने मृतक आश्रित कोटे में तत्थ गोपन कर फर्जी तरीके से नौकरी हासिल कर ली। यह न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाने का मामला है,बल्कि व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा भी है मामला कुशीनगर जनपद के कसया विकास अन्तर्गत सखवनिया स्थित महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कालेज का है जहां अविनाश गुप्ता नामक व्यक्ति नियम-कानून की हत्या कर फर्जी तरीके से मृतक आश्रित कोटे मे बेखौफ नौकरी कर रहा है और जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय धृतराष्ट्र बना बना बैठा। विशेषज्ञो का कहना है कि सरकारी सेवा में कार्यरत माँ के रहते हुए अविनाश गुप्ता द्वारा मृतक आश्रित कोटे में नौकरी हथियाना खुलेआम धोखाधड़ी, कागजी खेल और सिस्टम की दलाली का एक नमूना है।
बतादे कि मृतक आश्रित योजना का उद्देश्य उन परिवारों को सहारा देना है, जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन छिन जाता है। लेकिन यहां तो परिवार पहले से सुरक्षित है, मां को नियमित वेतन मिल रहा है, फिर भी बाबूओ से साठगांठ, झूठे दस्तावेज और अधिकारियों के मिलीभगत के सहारे अविनाश ने सरकारी नौकरी पर कब्जा जमा लिया। सवाल यह उठता है कि जब घर में माँ पहले से सरकारी नौकरी कर रही थी तो अविनाश गुप्ता को यह नौकरी किस शासनादेश और किस अधिकारी के निर्देश पर में दी गई?यह मामला प्रशासन की घोर लापरवाही या फिर जानबूझकर आंख मूंदने की ओर इशारा करता है।क्योकि बिना समुचित जांच-पड़ताल के नियुक्ति कैसे हो गई? किन अधिकारियों ने नियमों को रौंदते हुए फाइल आगे बढ़ाई? जिन अधिकारियों ने इस अवैध नियुक्ति पर दस्तखत किए है, वे भी इस अपराध के साझीदार हैं। यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि वास्तविक जरूरतमंदों के हक पर की गई सरेआम डकैती है।सबसे घटिया सच्चाई यह है कि ऐसे मामलों में गरीब विधवाएं और अनाथ बच्चे दफ्तरों के चक्कर काटते रह जाते हैं, और यहां रसूखदार परिवार योजनाओं को निजी जागीर समझकर निगल रहे हैं जो सिस्टम की सड़ी हुई घटिया नीति को बेनकाब करता है।
🔴 अविनाश के पिता खड्डा मे थे शिक्षककहना ना होगा कि माँ द्वारा सरकारी नौकरी मे कार्यरत रहते हुए फर्जी तरीके से मृतक आश्रित कोटे मे नौकरी हथियाने वाला अविनाश गुप्ता के पिता खड्डा तहसील क्षेत्र के गांधी इंटरमीडिएट कालेज में शिक्षक थे। नौकरी में रहते हुए वर्ष 2004 में अविनाश के पिता की मृत्यु हो गयी उस समय अविनाश की माँ स्वास्थ्य विभाग मे कार्यरत थी। शासनादेश व सरकारी नियम के अनुसार परिवार का कोई भी सदस्य पहले से सरकारी नौकरी में कार्यरत है तो मृतक आश्रित योजना का लाभ पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके बावजूद नियमो को रौंदते हुए, सच्चाई छिपाकर और दस्तावेजों से खिलवाड़ करके अविनाश गुप्ता ने वर्ष 2006 में कसया विकास खण्ड क्षेत्र के सखवनिया स्थित महात्मा गाधी इंटरमीडिएट कालेज मे परिचारक की सरकारी नौकरी हासिल कर लिया। इतना ही नही वर्तमान में पदोन्नति लेकर सहायक लिपिक बना बैठा है।
🔴 क्या कहते विशेषज्ञ
जानकारों का कहना है कि इस प्रकरण को विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए, कोई लीपापोती नहीं, बल्कि कठोर कार्रवाई करते हुए इस अवैध नियुक्ति को तत्काल रद्द करना चाहिए, झूठे दस्तावेजों पर एफआईआर दर्ज होना चाहिए, जिम्मेदार अफसरों पर निलंबन और विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए। अगर इस मामले मे भी शासन-प्रशासन चुप्पी साध लेती है, तो संदेश साफ है योगी सरकार में नियम नहीं, सेटिंग चलती है हक नहीं, हथियाने की ताकत मायने रखती है।
🔴 प्रधानाचार्य बोले
इस संबध मे महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कालेज सखवनिया के प्रधानाचार्य अमर बहादुर से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि मामला उनके कार्यकाल का नही है यह सच है कि अविनाश की नियुक्ति मृतक कोटे मे हुई है बाकी विभागीय जांच का विषय है।
🔵 रिपोर्ट - संजय चाणक्य


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