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बर्खास्तगी के बाद भी योगी सरकार को चुनौती दे रहे फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले देवेन्द्र पाण्डेय

🔴देवेन्द्र की गोरखपुर विश्वविद्यालय की बीएड की डिग्री फर्जी व भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ की बीएड की डिग्री है अमान्य

🔴 यूजीसी के सूची मे नही है भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ का नाम, यहा की डिग्री है अमान्य

🔵ग्लोबल न्यूज o
कुशीनगर। जनपद के कप्तानगंज स्थित गंगा बक्श कनोडिया इंटर कालेज मे बर्खास्तगी के बाद तथ्य गोपन कर निदेशालय को झाखे मे लेकर नौकरी कर रहे सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय की फर्जीवाड़े की पोल पहली दफा वर्ष 2018 मे ही उस समय खुली थी जब देवेन्द्र पाण्डेय के विनियमितकरण से संबंधित पत्रावली जेडी कार्यालय गोरखपुर भेजी गई थी, जिसमे मण्डलीय समिति द्वारा दिये गये अख्या मे देवेन्द्र पाण्डेय की गोरखपुर विश्वविद्यालय से वर्ष 1992 मे जारी बीएड की डिग्री को फर्जी व भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा जारी वर्ष 1994 की  बीएड की डिग्री को अमान्य घोषित कर न सिर्फ इनके विनियमितकरण पर रोक लगा दी गई थी बल्कि इनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया गया था।

 यह बात दीगर है कि देवेन्द्र ने साम दाम दंड भेद की युक्ति अपनाकर बाद मे अपना विनियमितकरण करा लिया लेकिन शासन के निर्देश पर वर्ष 2020 मे जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली जांच टीम ने इनके फर्जीवाड़े को पकड लिया और इन्हे बर्खास्त कर दिया गया। इसके बावजूद योगी सरकार मे देवेन्द्र पाण्डेय फर्जी डिग्री पर नौकरी कर सरकार को खुली चुनौती दे रहे है। 

गौरतलब है कि जिले के कप्तानगंज स्थित श्री गंगा बक्श कनोडिया इंटर कालेज के तदर्थ सहायक अध्यापक देवेन्द्र कुमार पाण्डेय की विनियमितकरण से संबंधित प्रस्ताव व पत्रावली प्रबंध समिति की ओर से जिला विद्यालय निरीक्षक के माध्यम से दिनांक 31/8/2017 पत्रांक मा०/ 3638/ 17-18मण्डलीय समिति के निर्णय हेतु
संयुक्त शिक्षा निदेशक सप्तम मण्डल गोरखपुर को भेजी गयी थी।  विचारोपरान्त देवेन्द्र कुमार पाण्डेय की सेवाओं को उत्तर प्रदेश, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड संशोधन अधिनियम-2016 की धारा 33 (छ) के प्राविधान के तहत विनियमित किये जाने के लिए 21 अप्रैल 2018 को मण्डलीय समिति की बैठक हुई जिसमें  सर्वसम्मति से लिये गये निर्णय के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक, सप्तम मण्डल, गोरखपुर ने पृ०सं०मा०3/ 837-39/ 2018-19 दिनांक 23/4/2018 को देवेन्द्र कुमार पाण्डेय के खिलाफ आदेश निर्गत
 किया। 

🔴 डीआईओएस की रिपोर्ट, नही है नियमित सेवा

सप्तम मण्डल गोरखपुर के आदेश मे कहा गया है कि प्रकरण में जिला विद्यालय निरीक्षक, कुशीनगर द्वारा अवगत कराया गया कि गंगा बक्श कनोडिया इंटर कालेज के सहायक अध्यापक देवेन्द्र कुमार पाण्डेय वेतन वितरण अधिनियम-1971 के अन्तर्गत अपने पद पर लगातार वेतन प्राप्त नही  किये हैं, वेतन भुगतान नियमित न होने की दशा में उनकी सेवाएं नियमित नही मानी जा सकती है। जेडी ने मण्डलीय समिति की बैठक में सर्वसम्मति से 21/04/2018 द्वारा लिये गये निर्णय को गंभीरता से लेते हुए संयुक्त शिक्षा निदेशक, सप्तम मण्डल, गोरखपुर ने पत्रांक 103/837-39/18-19 दिनांक 23/04/2018 को सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय की नियमित नियुक्ति के लिए दिये गये आदेश के क्रियान्वयन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिये और कुशीनगर के तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक को देवेन्द्र कुमार पाण्डेय के वेतन भुगतान के संबंध में साक्ष्यों के साथ तथ्यपरक आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। 

🔴 उच्च न्यायालय के आदेश पर निदेशालय मे हुई सुनवाई 

शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) उ०प्र०, शिक्षा सामान्य (1) प्रथम अनुभाग, प्रयागराज के पृष्ठांकन संख्या-सामान्य (1) प्रथम/2982-85/2021-22 दिनांक 04.10.2021 उच्च न्यायालय में योजित अवमानना वाद संख्या-3476/2021 देवेन्द्र कुमार पाण्डेय बनाम तत्कालीन डीआईओएस  मनमोहन शर्मा, व अन्य में उच्य न्यायालय के पारित आदेश दिनांक 23/9/2021 के अनुपालन में दिनांक 4/10/2021 को प्रकरण की निदेशालय स्तर पर की गयी सुनवायी के क्रम में सहायक अध्यापक देवेन्द्र कुमार पाण्डेय की  सुनवायी के लिए उनके विनियमितीकरण की पत्रावली व आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये।

🔴 बीएड की मिली दो डिग्रियां, पहली फर्जी दुसरा अमान्य

बतादे कि सुनवाई के दौरान श्री पाण्डेय के विनियनितीकरण पत्रावली में उपलब्ध बीएड का अंक-पत्र व प्रमाण-पत्र जो गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर से वर्ष 1992 में निर्गत अंकित दर्शाया गया था जिसे संयुक्त शिक्षा निदेशक गोरखपुर ने 8 अक्टूबर 2021 को दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से श्री पाण्डेय का बीएड अंक-पत्र व प्रमाण पत्र का सत्यापन कराया, जिसके कम में परीक्षा नियंत्रक, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के पत्र संख्या-372/ रिकार्ड/ ई०जी०/ दिनांक 21.10.2021 द्वारा  सत्यापन आख्या मे  देवेन्द्र कुमार के पिता का नाम शिवपूजन उल्लिखित है जबकि अन्य अभिलेख व प्रमाण पत्रो में देवेन्द्र कुमार पाण्डेय के पिता का नाम गंगा प्रसाद पाण्डेय अंकित है। इससे स्पष्ट है कि देवेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा बीएड का गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर तथ्यों का गोपन करते हुए मण्डलीय समिति के समक्ष विनियमितीकरण के लिए पत्रावली प्रस्तुत किया गया। इसके बाद निदेशालय ने देवेन्द्र कुमार पाण्डेय के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के क्रम में संयुक्त शिक्षा निर्देशक, गोरखपुर को पत्रांक मा०-3/ 3845- 47/2021-22 दिनांक 22/10/2021  द्वारा देवेन्द्र कुमार पाण्डेय से  प्रकरण में स्पष्टीकरण व आख्या को उपलब्ध कराने के निर्देश दिया। आदेश के अनुपालन मे  श्री पाण्डेय ने संयुक्त शिक्षा निदेशक, गोरखपुर कार्यालय को अपना स्पष्टीकरण उपलब्ध कराया।

🔴 फिर भारतीय शिक्षा परिषद से बीएड की डिग्री उपलब्ध करायी गयी 

 देवेन्द्र कुमार पाण्डेय द्वारा उपलब्ध करायी गयी  स्पष्टीकरण में कहा गया है कि उनकी सेवा पंचिका में उनके बीएड उपाधि जिसे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया गया था, दुसरे लोगों द्वारा द्वितीय श्रेणी अंकित कर दी गयी है जिसके त्रुटि सुधार के लिए संस्था अधिकारियों को आवेदन पत्र दिया गया। श्री पाण्डेय ने यह भी कहा है कि वर्ष 1992 में वह एमए के छात्र थे। उन्होने अपना जो स्पष्टीकरण व आख्या के साथ बीएड-1994 का (बिना स्वप्रमाणित) प्रमाण-पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया, किन्तु यह उल्लेख नहीं किया गया कि उन्होने वर्ष 1994 में बीएड किस संस्था व विश्वविद्यालय से किया गया है। उन्होने भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ से जारी बीएड वर्ष 1994 का प्रमाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत करते हुए दावा किया कि जैसे चाहे सत्यापित करा ले, यह प्रत्येक दृष्टि से सत्य है. कोई कूटरचना नही की गयी है।

🔴भारतीय शिक्षा परिषद की डिग्री अमान्य, यूजीसी के सूची मे नही है शामिल 

संयुक्त शिक्षा निदेशक सप्तम मण्डल गोरखपुर के आदेश में स्पष्ट कहा है गया है कि देवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने अपने स्पष्टीकरण व आख्या के  साथ भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा जारी बीएड-1994 का प्रमाण-पत्र संलग्न कर प्रस्तुत किया गया है। जिससे स्पष्ट है कि इनके द्वारा पृथक-पृथक संस्थान व विश्वविद्यालय का बीएड अंक पत्र प्रस्तुत कर विभाग व  उच्चाधिकारियों को भ्रमित करके अनुचित तरीके से लाभ लिये जाने का प्रयास किया जाता रहा है। देवेंद्र पांडेय ने जिस भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, लखनऊ द्वारा जारी बीएड-1994 के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है वह विश्वविद्यालय (भारतीय शिक्षा परिषद) अनुदान आयोग (यूजीसी) की वेबसाइट पर अमान्य व फेक यूनिवर्सिटीन की सूची मे दर्ज है। 

🔴वर्ष 2020 मे डीएम की अध्यक्षता वाली जांच टीम की रिपोर्ट पर हुए थे बर्खास्त 

कहना ना होगा कि अपर मुख्य सचिव उप्र शासन के निर्देश पर  31 जुलाई 2020 को करायी गयी जांच में तत्कालीन जिलाधिकारी भूपेंद्र एस चौधरी की अध्यक्षता में  जांच टीम गठित की गयी थी जिसमे तत्कालीन एडीएम, डीआईओएस, प्रधानाचार्य अक्षैयबर  पांडेय व सरोज दुबे शामिल थी। जांच समिति ने तमाम शिक्षक - शिक्षिकाओ के प्रमाण पत्रों की जांच बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर कराई। इसमें गंगा बक्स कानोडिया गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज कप्तानगंज में तैनात सहायक अध्यापक देवेंद्र कुमार पाण्डेय का बीएड की डिग्री फर्जी मिला था। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक उदयप्रकाश मिश्र ने फर्जी डिग्री धारी शिक्षक देवेन्द्र पाण्डेय का वेतन रोकते हुए विद्यालय के  प्रबंधक को देवेन्द्र पाण्डेय के खिलाफ संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज कराने लिए आदेश भी दिया था। यह बात दीगर है कि विद्यालय के प्रबंधक ने देवेन्द्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज नही कराया। बताया जाता हे कि विद्यालय के प्रबंधक से प्राप्त हुई सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को डीआईओएस उदय प्रकाश मिश्र ने अनुमोदित कर शासन को भेज दिया था। सूत्र बताते है कि इसके बाद शिक्षानिदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने गंगा बक्स कानोडिया गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज के सहायक अध्यापक देवेंद्र पांडेय की सुनवाई की,सुनवाई के दौरान देवेन्द्र पाण्डेय की ओर से न तो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया और न ही संतुष्टपूर्ण जबाब दिया गया। नतीजतन शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16 ई 10 के तहत तत्काल प्रभाव से देवेन्द्र पाण्डेय की सेवा समाप्त कर दिया। सूत्र बताते है कि शासन द्वारा सेवा समाप्ति के कुछ दिन बाद बर्खास्त शिक्षक अपने वेतन भुगतान की मांग को लेकर न्यायालय के शरण मे गये जहां तथ्य गोपन व कूटरचित अभिलेख प्रस्तुत कर वेतन भुगतान की मांग की। इसके बाद  निदेशालय के बाबुओं को मोटी रकम देकर कूटरचित अभिलेखो के सहारे अपनी बहाली करा लिया। सूत्र बताते है देवेन्द्र पाण्डेय ने बर्खास्तगी के बाद कूटरचित दस्तावेज को सही ठहराने के लिए यहां के जिला विद्यालय निरीक्षक व संबंधित पटल लिपिक सहित निदेशालय के बाबू और जिम्मेदार अधिकारियों को मुंहमांगा नजराना पेश किया।सवाल यह उठता है कि जब जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली टीम द्वारा विश्व विद्यालय व बोर्ड स्तर से करायी गयी जांच मे देवेन्द्र कुमार पाण्डेय की डिग्री फर्जी मिली, जब निदेशक माध्यमिक शिक्षा विनय कुमार पाण्डेय के सुनवाई मे देवेन्द्र पाण्डेय अपनी डिग्री को सही नही साबित नही कर पाये तो फिर इनकी सेवा कैसे बहाल हो गयी? ऐसे सवाल यह भी है कि योगी सरकार जहां अपराध व भ्रष्टाचार के मामले मे जीरो टॉलरेंस की दावा कर रही है वही देवेन्द्र पाण्डेय बर्खास्तगी के बाद भी फर्जी डिग्री पर नौकरी कर सरकार को खुली चुनौती दे रहे है और सरकारी मशीनरी धृतराष्ट्र बना बैठा है।

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